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लाकडाउन का सहरिया समुदाय पर असर


अजय यादव


शिवपुरी जिला का पोहरी ब्लाक आदिवासी बाहुल्य है. यहाँ से हजारों की संख्या में लोग पलायन करते है. यह पलायन साल में तीन वार किया जाता है, एक मार्च के माह में होता है.इस बार  कोरोना महामारी के चलते किये गये लाकडाउन के कारण कई लोग पलायन मकर गए राज्यों में फंसे है और कुछ परिवार जैसे तैसे कर के वापस आया गए हैं. कोरोना और लाक डाउन के कारण सहरिया जन जीवन पर बहुत ही बडा प्रभाव पडा है जिसमें सहरिया समाज अपने चार पांच माह के लिए गेहूं इस पलायन से लेकर आते थे वो इस बार नही ला पा रहे है. इसके साथ ही जो लोग आलू खोदने गये उनका आने जाने का किराया खर्च भी हो गया और उधर से किसी प्रकार का कोई पैसा कमाकर नही ला पाऐ है.

सहरिया समुदाय आलू खोदने के बाद तुरन्त ही सुपाड जाता था जहाँ पर गेहूं की कटाई करते थे जिसकी मजदूरी के बदले में इन्हें गेहूं ही मिलता था. इस तरह एक परिवार पूरे पलायन के दौरान चार से पांच क्विंटल गेहॅू तक कमा कर लाते थे जो इस बार लाक डाउन की वजह से नही जा पाऐं है और इसका बडा प्रभाव बरसात के समय में दिखाई देगा क्योंकि सहरिया पूरी तरह मजदूरी पर निर्भर है और बरसात के समय में कही भी मजदूरी नही मिलती है उस समय सुपाड पलायन से लाये गेहूं को खाकर अपने परिवार का भरण पोषण करता था वो इस बार नही कर पाएगा.


आंगनवाडी सेवाओं पर

कोरोना महामारी के कारण हुये लाक डाउन से समुदाय में संचालित सेवाओं का प्रभाव समुदाय पर बहुत ही बूरी तरह पडा है. समुदाय में संचालित आँगनवाडी केन्द्र की सभी 6 सेवाऐं प्रभावित हुई है जो समुदाय के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है जैसे टीकाकरण जो की बच्चे और गर्भवती महिलाओं को जरूरी है वो लाक डाउन के कारण नही लग पाऐ हैं. इसी प्रकार गर्म पका हुआ भोजन 3 से 6 वर्ष के बच्चों के लिए तथा पोषण आहार गर्भवती, धात्री माताओं को मिलता था जो पूरी तरह बन्द कर दिया गया है इधर लाक डाउन के कारण कहीं मजदूरी पर भी नही जा सकते, इधर गर्म पका हुआ भोजन भी बन्द कर दिया गया इसका बच्चे और गर्भवती धात्री माताओं के पोषण स्तर पर कितना असर बुरा पडेगा यह आगे देखने को मिलेगा.व्ही.एच.एन.डी भी नही हो पा रही है तो किषोरी /गर्भवती /धात्री माताओं को मिलने बाली आयरन की गोली भी नही मिल पा रही है.

शिक्षा पर

इसी प्रकार स्कूल में बच्चों की शिक्षा प्रभावित हुई है साथ ही बच्चों को स्कूल में मिलने वाला गर्म पका भोजन भी बाधित हुआ है जो बच्चों को अपने घर के खाने के अतिरिक्त था जिससे बच्चों के पोषण में सुधार होता था वो इस दौरान नही दिया गया है. हालाकी सरकार द्वारा सूखा राशन और पैसे दिये गये है पर परिवार में रहकर यह अतिरिक्त नही हो पाता है.

आवश्यक वस्तुओं का आभाव

लाक डाउन से समुदाय में रोज के बहुत ही जरूरी चीजों के प्राप्ति के लिए भी परेशानी उठानी पड रही है  जैसे सब्जी, तेल, नमक, मिर्च, आटा-दाल का बहुत ही अभाव देखने को मिला है. गावं में कई लोगों के पास आठ-आठ दिन में सब्जी खाने को मिलती है.

नही हो पा रहे शादी विवाह

सहरिया समुदाय में हर वर्ष इन दिनों शादी विवाह होता था. हर साल की तरह इस वार भी लोगों द्वारा महुर्त निकलवाऐं गये थे और संबंध तय किये गये थे जो लाकडाउन के कारण निरस्त किये गये और कई लोगो द्वारा शादी के इंतजाम के लिए राशि एडवांस दिए गए थे दिये गये वो पैसा भी फंस गया है और लोगों के अंदर बहुत बडी चिन्ता है कि ये पैसा वापस मिलेगा या नहीं. और फिर से शादी की व्यवस्था करने के लिए अब राशि नहीं है.

कोरोना से मिली सहायता

लाक डाउन के कारण सरकार द्वारा विभिन्न प्रकार की सहायता सरकार के द्वारा दी गई है जिसमें पी डी एस के तहत तीन माह का राशन, प्रधान मंत्री किसान सम्मान निधि,जन धन योजना,उज्जवला योजना और सहरिया कोटा से सहरिया परिवारों को 1000 रूपये की राशि दी गई है. राशि मिलने से लोग शराब पर खर्च करने लगे हैं.

सामाजिकता पर प्रभाव

सहरिया समुदाय में लाकडाऊन के कारण समाज में सामाजिक दूरी बढ़ी है. लोगों का समाज में मेल-जोल नही हो पा रहा है यहाँ तक कि किसी की मृत्यू होने पर भी उसके दाह संस्कार में भी नही जा सकते है ऐसी स्थिति से सामाजिकता पर प्रभाव पडा है

परिवार में अवसाद

लाक डाउन होने के कारण परिवार में सभी लोग घर पर ही रहने को मजबूर है इसके चलते जहाँ एक और पति पत्नी में आपस में झगडे हो रहे है और परिवार में अवसाद की स्थिति प्रकट हो रही है तो कही प्यार,अपनापन,देखरेख की भावना में बढ़ोत्तरी हुई है और परिवार में रहने से परिवार के सदस्यों में लगाव बढ़ा है और एक नया बल मिला है.

( लेखक बदलाव संस्था के साथ जुड़ कर शिवपुरी जिले में काम करते हैं)

 (यह लेख साझी बात (अंक 30) में  प्रकाशित हुआ है, पूरे अंक को इस लिंक पर जाकर पढ़ सकते हैं )


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