MONDAY, 26 MARCH 2012
भोपाल। प्रदेश में बाल अधिकारों के संरक्षण को लेकर गठित आयोग की रतार सुस्त पड़ती जा रही है। पिछले दस माह में आयोग ने सत्तावन लाख रुपए से ज्यादा खर्च करने के बाद मात्र 147 प्रकरणों पर कार्रवाई की है। अर्थात आयोग ने एक प्रकरण निपटाने में लगभग 38 हजार रुपए खर्च किए हैं।
देश में कुल 13 ऐसे राज्य हैं, जहां बाल संरक्षण आयोग का गठन किया गया है। उनमें से एक मप्र भी शामिल है, लेकिन आयोग के गठन के इतने साल बाद भी आयोग रμतार नहीं पकड़ पा रहा है। महिला एवं बाल विकास द्वारा विधानसभा में दी गई जानकारी के मुताबिक आयोग ने सामाचार पत्रों, टीवी एवं अन्य माध्यमों से बाल उत्पीड़न की शिकायतें दर्ज की हैं। इनमें से 147 प्रकरणों पर कार्रवाई की गई। इनमें से 21 प्रकरण आयोग स्तर पर निराकृत किए गए, जबकि 19 मामलों के प्रतिवेदन आयोग को प्राप्त हो चुके हैं। शेष के संबंध में कार्रवाई प्रचलित है।
आयोग को चालू वित्तीय वर्ष में 1 करोड़ 32 लाख 92 हजार रुपए आवंटित किए गए हैं। इसमें से जनवरी 2012 तक 57 लाख 32 हजार 883 रुपए खर्च किए हैं। इस प्रकार आयोग द्वारा की गई एक मामले की सुनवाई में लगभग 38 हजार रुपए का खर्च पड़ रहा है।
http://www.peoplessamachar.co.in
आयोग को चालू वित्तीय वर्ष में 1 करोड़ 32 लाख 92 हजार रुपए आवंटित किए गए हैं। इसमें से जनवरी 2012 तक 57 लाख 32 हजार 883 रुपए खर्च किए हैं। इस प्रकार आयोग द्वारा की गई एक मामले की सुनवाई में लगभग 38 हजार रुपए का खर्च पड़ रहा है।
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