-तीन माह में करना होगा शिकायतों
का निराकरण
- फैसले से सहमत नहीं होने पर बाल
अधिकार संरक्षण आयोग भी जा सकते हैं बच्चे
भोपाल (नप्र)। बच्चों की
शिकायतें सुनने का अधिकार अब स्थानीय निकायों को भी दे दिए गए हैं। इसके लिए हर
निकाय में 'शिक्षा का अधिकार शिकायत प्रकोष्ठ' का गठन कर दिया
गया है, जो बच्चों की शिकायतों का तीन माह में निराकरण
करेंगे। इनके फैसले से सहमत नहीं होने पर बच्चे मप्र बाल अधिकार संरक्षण आयोग की
शरण में जा सकते हैं।
'निःशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का
अधिकार अधिनियम 2009(आरटीई)' के तहत
बच्चों की शिकायतें सुनने का अधिकार आयोग को है, लेकिन पिछले
तीन साल में आयोग के पास काफी काम बढ़ गया है। वहीं, बच्चों
को न्याय मिलने में हो रही देरी को देखते हुए यह व्यवस्था की गई है। नगरीय
क्षेत्रों में नगर निगम, नगर पालिका, नगर
पंचायत और ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों की शिकायतें सुनने के लिए जिला पंचायत में
शिकायत प्रकोष्ठ का गठन किया गया है। यहां एक प्रकोष्ठ प्रभारी रहेगा, जो बच्चों से लिखित शिकायतें लेगा और उसकी बाकायदा रसीद देगा। प्रभारी का
दायित्व होगा कि वह बच्चों और आरोपी के बयान ले। मामले की अच्छी तरह से जांच करे
और तीन माह में प्रकरण का निराकरण करे।
सभी तरह की शिकायतें
शिकायत प्रकोष्ठ में बच्चों की
सभी तरह की शिकायतें सुनी जाएंगी। अव्वल तो वे पढ़ाई से संबंधित शिकायत कर सकते
हैं। इसके अलावा स्कूल, घर या काम के स्थान पर प्रताड़ना, जबरिया काम कराने आदि की भी शिकायत कर सकते हैं।
साभार - नवदुनिया भोपाल ३ जून २०१४
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