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"वैसी
बुद्धिमता से मुझे दूर रखो
जो रो नहीं सकता
ऐसे चिंतन से मुझे दूर रखो
जो हंस नहीं सकता और
ऐसी महानता से मुझे दूर रखो
जो बच्चों के सामने झुक नहीं सकता..."
- खलील जिब्रान
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