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एक सरकारी स्कूल ऎसा भी


भोपाल।बच्चे पढ़ाई से बोर हों तो उनका मनोरंजन करने कार्टून है। क्लास में ही टीवी लगी हुई है और पढाई भी पुराने तरीकों की बजाय बच्चों को खेल खिलाते हुए कराई जाती है। आप इसे किसी किसी बड़े निजी स्कूल की तस्वीर न समझें।

यह सब हो रहा है टीटी नगर स्थित शासकीय सम्राट अशोक स्कूल में। सरकारी स्कूलों की छवि से बिल्कुल विपरीत यहां आधुनिक तरीके से बच्चों को शिक्षा दी जा रही है। यह लोगों की बातों को झुठलाता नजर आता है जो सरकारी स्कूल में शिक्षा का स्तर नहीं होने के बारे में है।

अभिभावकों का रूझान निजी सीबीएसई स्कूलों की तरफ है। ऎसे में सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या घट रही है। करीब तीन दशक पुराने सम्राट अशोक स्कूल में भी ये स्थिति बनी। ऎसे में पिछले वष्ाü इस स्कूल में एक पहल हुई। ये पहले बच्चों को सरकारी स्कूल तक बुलाने के लिए थी। कक्षा पहली से लेकर पांचवीं तक नए तरह की कक्षाएं शुरू हुई।

यहां न केवल बच्चों की पढ़ाई कराई जाती बल्कि उनके मनोरंजन का भी इंतजाम हुआ है। स्कूल प्रभारी महेन्द्र तिवारी के मुताबिक कई बच्चे आते तो थे मगर जल्द ही ऊब कर वे लौटने लगते। इससे निपटने स्कूल में टेलीविजन रख दिया। अब कुछ देर पढ़ाई के बाद वे स्कूल में ही अपना मनपसंद कार्टून भी देखते हैं। इससे ये फायदा हुआ कि बच्चे अब खुद ही स्कूल आते हैं। उनके नियमित आने की आदत बनी है।

कार्टून की जुबान में अंग्रेजी की सीख

टीवी लगने में दो फायदे हुए। एक तो वे स्कूल से जाने की जिद नहीं करते और दूसरे उन्हें प्रारंभिक अंग्रेजी सिखाने में भी मदद मिली है। वे ये अंग्रेजी कार्टून की जुबान में सीख रहे हैं। इसमें एबीसीडी से लेकर फलों के नाम, दिन, महीने के नाम आसानी से उन्हें अंग्रेजी में याद हो रहे हैं। अंग्रेजी को सरकारी स्कूलों की सबसे बड़ी कमजोरी माना जाता है।

विभाग भी आगे आया मदद के लिए

स्कूल शिक्षा विभाग भी इस सरकारी स्कूल की मदद के लिए आया है। स्कूल में हुए इंतजामों में विभाग ने सहयोग दिया है। नए श्ौक्षणिक सत्र में स्कूल में बच्चों के ज्यादा से ज्यादा दाखिलों की तैयारी है।
नाम भी दिया कान्सेप्ट स्कूल

अभिभावकों पर स्कूल के नाम का भी असर होता है। इसे ध्यान में सम्राट अशोक स्कूल की इस प्रायमरी विंग को कान्सेप्ट स्कूल नाम दिया है। अधिकारियों के मुताबिक अंग्रेजी नामों के स्कूल की तरफ अभिभावक ज्यादा आकçष्ाüत हो रहे हैं।

बच्चों ने कहा, मजा आता है स्कूल में

श्ौक्षणिक सत्र की शुरूआत हो चुकी है। बच्चे स्कूल पहुंचने लगे है। इनमें से एक 6 साल की बच्ची पूर्णिमा से पूछा कि स्कूल में कैसा लग रहा है तो उसने कहा खूब मजा आता है स्कूल में। एक दूसरे बच्चे अभिषेक ने बताया कि सभी दोस्त मिलकर पढ़ाई करते है। इस स्कूल की एक कक्षा में 60 बच्चे हैं।


अभिभावक बच्चों के दाखिले सरकारी स्कूल में कराएं इसे ध्यान में रख ये स्कूल शुरू किया गया है। बेहतर माहौल और अच्छी शिक्षा पहली प्राथमिकता है।

पीआर तिवारी, संभागीय संयुक्त संचालक

http://www.patrika.com से साभार 

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