मध्यप्रदेश लोक सहभागी साझा मंच

मीडिया विज्ञप्ति शिक्षा हमारा हक़


बच्चों ने राज्य में स्कूली हालत की हकीकत से पर्दा उठाया



30 जून, 2012, भोपालः भारत की अग्रणी बाल अधिकार संस्था क्राई-चाइल्ड राइट्स एंड यू और मध्य प्रदेश लोक संघर्ष सांझा मंच ने मध्य प्रदेश में स्कूलों की हालत पर राजधानी में ’’शिक्षा हमारा हक़’’ बाल उत्सव का आयोजन किया। यह ऐसे बच्चों के लिए खुला मंच था जिनकी आवाज बहुत कम सुनी जाती है। नाटक के माध्यम से बच्चों ने ऐसे मुद्दे उठाये जो उन्हें सबसे अधिक प्रभावित करते हैं । मध्य प्रदेश राज्य अनुसूचित जनजाति आयोग के अध्यक्ष रामलाल रौतेल इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे। जबकि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग की राज्य सलाहकार अर्चना सहाय सम्मानित विषेष अतिथि के रूप में कार्यक्रम में उपस्थित रही। ’’षिक्षा हमारा हक’’ बाल उत्सव क्राई द्वारा 2011 में शुरू किए गए शिक्षा के अधिकार के बारे में  चलने वाले अभियान का अंग है।

क्राई एवं मध्य प्रदेश लोक संघर्ष सांझा मंच ने गत एक वर्ष में इस अभियान के अंर्तगत शिक्षा के अधिकार पर अध्ययन रिपोर्ट और सरकारी स्कूलों में शौचालयों की स्थिति की पड़ताल पर रिपोर्ट जारी की हैं।

इस बाल उत्सव में मंच के साथ जुड़े हुये विभिन्न जिलों के 60 बच्चों (6-14 वर्ष की आयु के ) ने तीन नाटक प्रस्तुत किए जिनके नाम स्कूल अंदर हम बाहर, शिक्षक का आतंक और न छत न छप्पर हैं। इन नाटकों का निर्देषन  राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय से जुड़े हुये एवं  क्राई फेलो वाल्टर पीटर द्वारा किया गया। इन नाटकों के जरिए बच्चों ने स्कूल छोड़ने वाले बच्चों की हकीकत, भेदभाव और शारीरिक दंड तथा स्कूलों में उत्कृष्ट शिक्षा के अभाव के मुद्दों पर विचार प्रकट करने के साथ बुनियादी ढंाचे और विद्यार्थी-शिक्षक अनुपात पूरा न होना आदि बिंदुओं पर ध्यान आकृष्ट किया। नाटक प्रस्तुति के बाद मंचासीन अतिथियों द्वारा बच्चों द्वारा उठाई गई समस्याओं के बारे में विचार विमर्ष किया गया।

क्राई के महाप्रबंधक शुभेन्दु भट्टाचार्जी कहते हैं, कि चिल्ड्रन कलेक्टिव्स या बाल समूह यह सुनिश्चित करने का प्रयास है कि उन निर्णयों में बच्चों की आवाज शामिल की जानी चाहिए जो उनके जीवन को प्रभावित करते हैं। बाल समूह गांवों और झुग्गी बस्तियों में नियमित आधार पर बैठक करते हैं जिसमें सभी का समान विकास बैठक का मुख्य विषय होता हैं। बाल समूह के बच्चे अपने जीवन को प्रभावित करने वाले मुद्दों से स्वयं निपटते हैं जिनमें स्कूलों में बुनियादी ढांचा, साफ-सफाई, खेल के मैदानों तक पहुंच, लिंग भेद और बच्चों को काम पर भेजने के बजाय स्कूल भेजना सुनिश्चित करने जैसे मुद्दे शामिल हैं। 

यह चर्चा प्राथमिक रूप से तीन मांगों पर केंद्रित रही जो क्राई -मध्य प्रदेश लोक संघर्ष सांझा मंच ने पेश की:

·         शिक्षा के अधिकार कानून, 2009 के वर्तमान प्रावधानों के अनुसार 6-14 वर्ष के सभी बच्चों का स्कूलों में दाखिला।
·         किसी भी बच्चे को किसी भी तरह का शारीरिक (शारीरिक या मानसिक ) दंड न दिया जाए।
·         पड़ोस में समुचित बुनियादी ढंाचे वाले स्कूल की उपलब्धता के जरिए सभी बच्चों के लिए अनिवार्य शिक्षा सुनिश्चित करना।

विशेषज्ञों के पैनल में महिला एवं बाल कल्याण समिति, विधान सभा, की अवर सचिव डाॅ. रचना त्यागी, अमित आनंद, यू.एन.डी.पी., आर. एन. स्याग, सामाजिक कार्यकर्ता, डाॅ. सुनंदा रघुवंषी प्रोफेसर एक्सटाल कालेज, श्री एल.एस हरदेनिया, सामाजिक कार्यकर्ता, डाॅ. राहुल शर्मा, सेकेट्ररी, बी.जी.वी.एस., डाॅ. रिजवान खान, प्रोफेसर बरकतउल्ला युनिवर्सिटी, , श्री वीरेन्द्र मिश्रा सामाजिक कार्यकर्ता जैसे अनेक विद्वान शामिल थे। बाल उत्सव में धार, इंदौर, दमोह, ग्वालियर, मंडला, डिंडौरी, भोपाल जिलों से 70 बच्चे शामिल हुये।

क्राई के एक वर्ष से जारी इस अभियान का मुख्य उद्देश्य मध्य प्रदेश में शिक्षा के मुद्दे पर जनता को जागरूक करना और संवेदनशील बनाना है। इस आयोजन के परिणाम की वास्तविक धरातल पर समुचित कार्यान्वयन के बारे में नियमित अनुवर्ती जांच की निगरानी की जाएगी। क्राई और मध्यप्रदेष लोक संघर्ष साझा मंच द्वारा आरटीई के प्रभाव पर राज्य स्तरीय अध्ययन मध्यप्रदेष सहित देषभर में हर वर्ष किया जाएगा जिससे वास्तविक धरातल पर मांगों के कार्यान्यन को मापने में मदद मिलेगी। इसके अतिरिक्त, संबंधित प्राधिकरणों के साथ नियमित निगरानी की जायेगी और बाल अधिकार उल्लंघन के मामलों की जानकारी संबंधित प्राधिकरणों को दी जाएगी।

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