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इंदौर में असुरक्षित बच्चे और महिलाएं




नव दुनिया भोपाल  19 अप्रैल 2012

शांत शहर, मालवा की शान और औद्योगिक राजधानी जैसे विशेषणों को महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाली आपराधिक वारदातों ने पीछे छोड़ दिया है। इंदौर का नाम सड़क चलती महिलाओं से चेन लूट और मासूम बच्चियों से दुष्कर्म के मामलों में कुख्यात हो गया है। वर्ष २००८ में देश की आपराधिक राजधानी (क्राइम कैपिटल) घोषित होने वाला इंदौर एक-दो पायदान नीचे जरूर उतरा है, लेकिन महिला और बच्चों के प्रति होने वाले अपराधों में वह अभी भी शीर्ष पर है। महिलाओं और बच्चों के साथ होने वाले अपराधों पर नवदुनिया की विशेष रिपोर्ट

बड़े शहरों में इंदौर अव्वल

नेशनल ब्यूरो ऑफ क्राइम (एनसीआरबी) की नवीनतम रिपोर्ट २०१० के अनुसार मध्यप्रदेश में महिलाओं और बच्चों के प्रति होने वाले अपराधों की संख्या बहुत ज्यादा है। ३५ बड़े शहरों में कोच्चि के बाद इंदौर का ही नंबर है। यहाँ में एक साल में बलात्कार के १३४ मामले दर्ज हुए। सॉफ्ट टारगेट इंदौर में बाहर के बदमाश भी फरारी काटते हैं। चूँकि महिलाएँ और बच्चे सॉफ्ट टारगेट होते हैं इसलिए बदमाश आसानी से उन्हें शिकार बना लेते हैं। शहर में चेन स्नेचिंग, नकली पुलिस बनकर ठगी करने, छोटी बच्चियों के शारीरिक शोषण की घटनाएँ सालभर में काफी बढ़ गई हैं।

४४ हजार बच्चे लापता

पुलिस मुख्यालय ने २००६ से २०११ तक का सीबीआई को जो रिकॉर्ड भेजा उसके अनुसार प्रदेश में इन सालों के दरमियान ४३ हजार ९२० बच्चे लापता हो गए। इनका कोई सुराग नहीं मिला। इन बच्चों को बेचने, देह व्यापार में धकेलने इंदौर के एमवाय अस्पताल में समय-समय पर बच्चा चुराने वाली महिलाएँ पकड़ी गई हैं। नवजात बच्चों को चुराकर उन्हें बेचने वाले इंदौर और पूरे प्रदेश में सक्रिय हैं, क्योंकि यहाँ धरपकड़ बहुत ढीली है। विधानसभा में गूँजा मामला१५ मार्च को साँवेर विधायक तुलसी सिलावट के प्रश्न के जवाब में गृहमंत्री उमाशंकर गुप्ता ने शहर में होने वाले अपराधों की जानकारी दी थी। 

एक वर्ष में हुए अपराध

इंदौर में पिछले एक साल में हत्या के १३२, हत्या के प्रयास के १४९, लूट के ११८, घरों में चोरी के १०१९, चोरी के ११९४, बलवा के ११५, अपहरण के ७०, बलात्कार के १३४ और अन्य धाराओं के तहत करीब १५ हजार ९८४ मामले दर्ज किए गए हैं।

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