मध्यप्रदेश लोक सहभागी साझा मंच

मासूमों का शोषण सबसे ज्यादा एमपी में




17 Jul 2011
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अन्य राज्यों की तुलना में मध्यप्रदेश नाबालिगों विशेषकर लड़कियों के शोषण के मामले में अव्वल बनकर उभरा है.
यह खुलासा राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) द्वारा जारी ताजा आंकडों से हुआ है, जिसके अनुसार मध्यप्रदेश में नाबालिगों के साथ 4646 आपराधिक वारदातें हुई, जो देश के अन्य राज्यों की तुलना में सबसे अधिक है. इसमें भी प्रदेश की आर्थिक राजधानी कहे जाने वाला इंदौर 337 मामलों के साथ पहले स्थान पर रहा है.

इसी प्रकार जबलपुर में 257 और भोपाल में 127 मामले सामने आए हैं. इन आपराधिक घटनाओं में भी मासूम बच्चों के साथ बलात्कार की घटनाएं ज्यादा हुई हैं.

एनसीआरबी के ये आंकड़े मध्यप्रदेश को शर्मसार करने के लिए काफी हैं. बच्चों विशेषकर नाबालिग लड़कियों से बलात्कार के मामले में मध्यप्रदेश नंबर वन है, प्रदेश में 1071 नाबालिग बच्चियों के साथ बलात्कार की घटनाएं हुइर्ं, जो पूरे देश में हुई वारदातों का 20 फीसदी है.

एनसीआरबी की रिपोर्ट के मुताबिक, नाबालिग बच्चियों के साथ बलात्कार के मामले में मध्यप्रदेश के बाद उत्तरप्रदेश और महाराष्ट्र का नंबर है, जहां क्रमश: 625 और 612 घटनाएं दर्ज हुईं .

बच्चों के साथ हो रहे अत्याचार के मामले में भोपाल तीसरे नंबर पर है. दिल्ली और मुंबई के बाद भोपाल में बच्चों के साथ सबसे ज्यादा बलात्कार की घटनाएं हुई. दिल्ली में बलात्कार की 258, मुंबई में 85 और भोपाल में 77 घटनाएं हुई.

मध्यप्रदेश में 115 बच्चों की हत्याएं हुई

इसी प्रकार, यदि बच्चों की हत्याओं की बात करें तो मध्यप्रदेश में 115 बच्चों की हत्याएं हुई, जबकि उत्तरप्रदेश में 363, महाराष्ट्र में 181 और बिहार में 126 हत्याएं हुई. इस मामले में भोपाल छठे स्थान पर है, जहां बाल हत्या के सात मामले दर्ज किए गए. दिल्ली 65 बाल हत्याओं के साथ पहले और मुंबई 16 बाल हत्याओं के साथ दूसरे नंबर पर है.

प्रदेश में बाल व्यापार, बाल विवाह और बाल श्रम जैसी घटनाएं आए दिन अखबारों की सुर्खियों में रहती हैं, लेकिन एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक मध्यप्रदेश में ऐसे अपराध नहीं के बराबर हैं. ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि मध्यप्रदेश में बच्चों को बेचने की मात्र एक घटना हुई और खरीदने की एक भी नहीं, जबकि प्रदेश के मंदसौर जिले में ही विभिन्न स्थानों से अपहृत कर देह व्यापार के लिए कुख्यात बांछड़ा जाति के लोगों को बेची गई एक से नौ वर्ष उम्र की 65 से अधिक बच्चियों को मुक्त कराया गया है और इस मामले में सत्तर से अधिक व्यक्ति गिरफ्तार किए गए हैं. ये आंकड़े एनसीआरबी की रिपोर्ट में शामिल क्यों नहीं किए गए.

रिपोर्ट के मुताबिक, मध्यप्रदेश में बाल विवाह की एक भी घटना नहीं हुई. इसके पीछे मुख्य कारण यह है कि ऐसे विवाह गुपचुप तरीके से होते हैं और ये मामले पुलिस तक पहुंच ही नहीं पाते हैं. मध्यप्रदेश में ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं, जिनमें बच्चों का अपहरण कर न केवल उनकी खरीद-फरोख्त की गई, बल्कि उनसे देह-व्यापार जैसा अनैतिक कृत्य भी कराया गया. मंडला और बैतूल जैसे आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों की लड़कियों को नौकरी का झांसा देकर मुंबई, दिल्ली और गोवा जैसे शहरों में लाकर अनैतिक कृत्यों में धकेल दिया जाता है, वहीं लड़कों का इस्तेमाल बाल श्रमिक के रुप में किया जाता है.बचपन बचाओ आंदोलन के तोमर का आरोप है कि महज आंकड़ों में सुधार को देखते हुए अमेरिका ने भी भारत को मानव तस्करी की निगरानी सूची से बाहर कर दिया है, लेकिन वास्तविकता कुछ और ही है और देश से हर साल लगभग 60 हजार बच्चे गायब हो जाते हैं.
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बच्चों के खिलाफ अपराध में 7.6 फीसदी वृद्धि

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Jan 21, 2011

नई दिल्ली। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के अनुसार देश में बच्चों के खिलाफ आपराधिक मामलों में बढ़ोतरी हुई है। इस मामले में मध्यप्रदेश पहले स्थान पर है जबकि दिल्ली चौथे पायदान पर है। एनसीआरबी के जारी आंक़डों के मुताबिक वर्ष 2008 में बच्चों से जु़डे 22,500 मामले दर्ज किए गए, जहां 7.6 फीसदी की बढ़ोतरी के साथ वर्ष 2009 में यह 24,201 तक पहुंच गए। वर्ष 2008 में भू्रण हत्या के 73 मामले सामने आए थे जबकि वर्ष 2009 में इसमें 123 यानी 68.5 फीसदी की भारी वृद्धि हुई है। वर्ष 2009 में बच्चों के साथ दुष्कर्म के मामलों में मामूली रूप से 1.4 फीसदी की कमी आई है। मध्यप्रदेश में बच्चों से जु़डे 4,646 आपराधिक मामले दर्ज किए गए। उत्तरप्रदेश में यह आंक़डा 3,085 रहा। महाराष्ट्र में 2,894 और दिल्ली में 2,839 मामले सामने आए। इन राज्यों में बच्चों के साथ अपराध में क्रमश: 19.2 फीसदी, 12.7, 12, और 11.7 फीसदी की वृद्धि हुई है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में वर्ष 2008 की तुलना में वर्ष 2009 में बाल अपराध में 11.7 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।

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