Illustration by Jayachandran/Mint |
भारत और उप-सहारीय अफ्रीका में मौजूद कुपोषण की तुलनात्मक व्याख्या के लिए
अर्थशास्त्र के कुछ जानी-मानी हस्तियों के बीच बहस इस बात पर उलझी है कि आणुवांशिक
बनावट इसके लिए किस कोण से जिम्मेदार है। इसी बीच सार्वजनिक स्वास्थ्य-विशेषज्ञ और
दिल्ली स्कूल ऑव इकॉनॉमिक्स के विजिटिंग फैलो डीन स्पीयर्स ने इस बात के सबूत
जुटाये हैं कि साफ-सफाई की कमी और खुले में शौच करने का रिश्ता कुपोषण और उच्च बाल
मृत्यु-दर से है।(कृपया दोनों बातों के विस्तार के लिए देखें नीचे दी गई लिंक)
पॉलिसी लेसन्स् फ्रॉम इम्पलिमेंटिंग इंडिया’ज् टोटल सैनिटेशन कंपेन(2012) नामक एक साक्ष्य-आधारित आलेख में स्पीयर्स ने सिद्ध किया है कि खुले में शौच करने के चलन के कारण बच्चों का कद उम्र के हिसाब से मानक स्तर तक नहीं बढ़ पाता। आलेख के अनुसार जिन परिवारों में खुले में शौच करने का चलन नहीं है उन परिवारों के बच्चे खुले में शौच करने वाले परिवारों के बच्चों की तुलना में लंबे हैं।. ( देखें नीचे दी गई लिंक)। यह शोध-अध्ययन एनसीएईआर(नेशनल काऊंसिल ऑव अप्लॉयड रिसर्च)तथा ब्रुकिंग्स् इंस्टीट्यूट के सहयोग से हुआ है।
स्पीयर्स ने शोध में पाया है कि भारतीय बच्चों की लंबाई और उनकी बुद्धिमत्ता के बीच सकारात्मक रिश्ता है और जो बच्चे अपेक्षाकृत लंबे हैं वे अधिगम से जुड़ी जांच में कहीं ज्यादा अंक हासिल कर रहे हैं। यह भी पाया गया कि भारतीय बच्चों की लंबाई से बोधक्षमता का रिश्ता इस मामले में अमेरिकी बच्चों की तुलना में ज्यादा है। शोध स्थापित करता है कि जीवन की शुरुआती अवस्था में साफ-सफाई की स्वास्थ्यकर आदतों का निर्णायक महत्व है।.
विकासशील देशों में खुले में शौच करने का चलन अलग-अलग परिमाण में पाया जाता है। स्पीयर्स का कहना है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एक ही उम्र के बच्चों की लंबाई में जो अंतर पाया जाता है उसके आधे से अधिक मामलों की व्याख्या इस एक तथ्य के आधार पर की जा सकती है।भारत में बच्चों की परवरिश साफ-सफाई के माहौल में नहीं हो पाती। इस वजह से वे लंबे समय तक पेट के रोगों का शिकार रहते हैं और भोजन के पोषक-तत्वों का इस्तेमाल उनके शरीर में ठीक ढंग से नहीं हो पाता। ऐसे में बच्चों का कद मानक उम्र के लिहाज से मानक लंबाई तक नहीं पहुंचता।
स्पीयर्स का यह अध्ययन एशिया की एक खास गुत्थी का राज खोलता है। प्रचलित मान्यता है कि उप-सहारीय देशों में कुपोषण कहीं ज्यादा व्यापक है क्योंकि वहां भारत की तुलना में गरीबी का स्तर ज्यादा है। बहरहाल, यूनिसेफ की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में 2011 में मानक से कम लंबाई के बच्चों की संख्या 6.17 करोड़ थी और ऐसे बच्चों की वैश्विक तादाद का 37.9 फीसदी भारत में है।गौरतलब है कि उच्च आर्थिक-वृद्धि दर के बावजूद भारत में कुपोषित बच्चों की संख्या वैश्विक स्तर पर सबसे ज्यादा है।
स्पीयर्स ने अपने शोध में आंकड़ों और साक्ष्यों का इस्तेमाल करते हुए दिखाया है कि भारत सरकार का सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान भारत में बच्चों को स्वस्थ, लंबा बनने और बेहतर बोधक्षमता हासिल करने में मददगार रहा है। सम्पूर्ण स्वच्छता अभियान को शुरु हुए दस साल हो रहे हैं और इस अभियान से बाल-मृत्यु दर में कमी(प्रति हजार जीवित शिशुओं में चार) आई है।शोध में आंकड़ों के आधार पर बताया गया है कि किसी जिले में बच्चे के जन्म के पहले साल में जितने शौचालय बनते हैं उतनी ही इस बात की संभावना बढ़ते जाती है कि वह अपने पहले जन्मदिन की तिथि तक जीवित रहेगा।
कृपया इस कथा के विस्तार के लिए निम्नलिखित लिंक खोलें-
Policy
Lessons from Implementing India’s Total Sanitation Campaign (2012)-Dean Spears,
India Policy Forum 2012, NCAER-The Brookings Institution,
Maternal
and child nutrition: building momentum for impact (Comment), 6 June, 2013,
Lancet, http://www.thelancet.com/series/maternal-and-child-nutrition
Coming up short in India -Dean Spears, Live Mint, 4 July, 2013,
http://www.im4change.org/latest-news-updates/coming-up-sho
rt-in-india-dean-spears-21870.html
2013 UNICEF report: Improving Child Nutrition: The achievable imperative for global progress,
http://www.unicef.org/publications/files/Nutrition_Report_
final_lo_res_8_April.pdf
Lancet, http://www.thelancet.com/series/maternal-and-child-nutrition
Coming up short in India -Dean Spears, Live Mint, 4 July, 2013,
http://www.im4change.org/latest-news-updates/coming-up-sho
rt-in-india-dean-spears-21870.html
2013 UNICEF report: Improving Child Nutrition: The achievable imperative for global progress,
http://www.unicef.org/publications/files/Nutrition_Report_
final_lo_res_8_April.pdf
The
Myth of Child Malnutrition in India-Arvind Panagariya, Columbia University,
September 2012 Conference, Paper 8,
http://indianeconomy.columbia.edu/sites/default/files/pape
r_8-panagariya.pdf
http://indianeconomy.columbia.edu/sites/default/files/pape
r_8-panagariya.pdf
Renowned
Economists ‘eliminate’ Malnutrition,
http://www.im4change.org/news-alerts/renowned-economists-e
liminate-malnutrition-21307.html
http://www.im4change.org/news-alerts/renowned-economists-e
liminate-malnutrition-21307.html
Commentary:
The Asian enigma by Vulimiri Ramalingaswami, Urban Jonsson and Jon Rohde,
UNICEF, http://www.unicef.org/pon96/nuenigma.htm
WHO/UNICEF
joint monitoring report 2012: Progress on drinking water and sanitation, http://www.who.int/water_sanitation_health/publications/20
12/jmp2012.pdf
Off-track, off-target-Why investment in water, sanitation and hygiene is not reaching those who need it most (2011), Water Aid,
http://www.wateraid.org/~/media/Publications/water-sanitat
ion-hygiene-investment.pdf
12/jmp2012.pdf
Off-track, off-target-Why investment in water, sanitation and hygiene is not reaching those who need it most (2011), Water Aid,
http://www.wateraid.org/~/media/Publications/water-sanitat
ion-hygiene-investment.pdf
Final
Figures of Houselisting & Housing Census, 2011 Released, 13 March,
2012, http://pib.nic.in/newsite/erelease.aspx?relid=80811
Houselisting and Housing Census Data Highlights-2011
http://www.censusindia.gov.in/2011census/hlo/hlo_highlights.html
Houselisting and Housing Census Data Highlights-2011
http://www.censusindia.gov.in/2011census/hlo/hlo_highlights.html
Courtesy- http://www.im4change.org
0 Comments