इंदौर। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत पिछले साल निजी स्कू लों में दाखिल हुए कमजोर वर्ग के 2100 से ज्यादा बच्चों की पोर्टल पर एंट्री नहीं होने से अधिकारी चिंतित हैं। विभाग को शक है कि कहीं बच्चे एडमिशन के बाद स्कूल तो नहीं छोड़ गए।
अधिनियम के तहत पिछले साल जिले के 1622 स्कूलों में 8086 बच्चों का एडमिशन हुआ था। इसके बाद शासन ने स्कूलों को इन बच्चों की एंट्री एजुकेशन पोर्टल पर करने के निर्देश दिए थे। लेकिन अधिकांश स्कूलों ने ध्यान नहीं दिया। गत फरवरी में इन बच्चों की फीस स्कू लों के खातों में जमा किए जाने के लिए आदेश दोहराए गए और एंट्री
करने की अंतिम तारीख 7 मार्च घोषित की गई। लेकिन तब तक 15 प्रतिशत बच्चों की ही जानकारी मिल पाई थी। इस पर तारीख बढ़ाकर 12 मार्च की गई, तब भी 75 प्रतिशत स्कूलों ने एंट्री नहीं हो सकी। इसके बाद पुन: आदेश जारी हुए लेकिन विभाग को 790 स्कूलों की ओर से 5913 बच्चों की एंट्री मिली है। यानी 2173 बच्चों की एंट्री बाकी है।
पहले अधिकारी सोच रहे थे कि स्कूल एंट्री नहीं कर रहे, लेकिन हर बच्चे के लिए 2607 रुपए फीस शासन द्वारा घोषित करने के बाद भी एंट्री नहीं करना बड़ा सवाल है, क्योंकि इस आधार पर ही स्कू लों को बच्चों की फीस मिलेगी। अब वरिष्ठ अधिकारियों को शक है कि कहीं ऐसे बच्चे स्कू ल छोड़कर तो नहीं चले गए जिसके चलते स्कूल एंट्री नहीं कर रहे या फिर स्कूल संचालकों ने उन्हें निकाल तो नहीं दिया? यह जानकारी निकालने के लिए जिला स्तर पर अधिकारियों को निर्देश भेजे गए हैं।
स्कूल से पता करें
भोपाल स्थित राज्य शिक्षा केंद्र से अधिकारियों को निर्देश मिले हैं वे ऐसे सभी स्कूलों में पता करें जिनमें बच्चों का एडमिशन हुआ था, लेकिन एंट्री नहीं की गई है।
कम उपस्थिति अमान्य
अधिकारियों ने बताया जांच में पता चला है कि 75 प्रतिशत से कम उपस्थिति मिलने से पोर्टल पर एंट्री स्वीकार नहीं की जा रही। इस कारण भी छात्रों की संख्या घटी है।
अफसरों को भेज रहे
जिन बच्चों की एंट्री नहीं हुई उनमें से कई की उपस्थिति 75 प्रतिशत से कम थी। इस कारण एंट्री मान्य नहीं हो रही। बाकी के बारे में पता करने के लिए स्कू ल स्तर पर अधिकारियों को भेजा जा रहा है।
- मदनकुमार त्रिपाठी, जिला परियोजना समन्वयक
अधिनियम के तहत पिछले साल जिले के 1622 स्कूलों में 8086 बच्चों का एडमिशन हुआ था। इसके बाद शासन ने स्कूलों को इन बच्चों की एंट्री एजुकेशन पोर्टल पर करने के निर्देश दिए थे। लेकिन अधिकांश स्कूलों ने ध्यान नहीं दिया। गत फरवरी में इन बच्चों की फीस स्कू लों के खातों में जमा किए जाने के लिए आदेश दोहराए गए और एंट्री
करने की अंतिम तारीख 7 मार्च घोषित की गई। लेकिन तब तक 15 प्रतिशत बच्चों की ही जानकारी मिल पाई थी। इस पर तारीख बढ़ाकर 12 मार्च की गई, तब भी 75 प्रतिशत स्कूलों ने एंट्री नहीं हो सकी। इसके बाद पुन: आदेश जारी हुए लेकिन विभाग को 790 स्कूलों की ओर से 5913 बच्चों की एंट्री मिली है। यानी 2173 बच्चों की एंट्री बाकी है।
पहले अधिकारी सोच रहे थे कि स्कूल एंट्री नहीं कर रहे, लेकिन हर बच्चे के लिए 2607 रुपए फीस शासन द्वारा घोषित करने के बाद भी एंट्री नहीं करना बड़ा सवाल है, क्योंकि इस आधार पर ही स्कू लों को बच्चों की फीस मिलेगी। अब वरिष्ठ अधिकारियों को शक है कि कहीं ऐसे बच्चे स्कू ल छोड़कर तो नहीं चले गए जिसके चलते स्कूल एंट्री नहीं कर रहे या फिर स्कूल संचालकों ने उन्हें निकाल तो नहीं दिया? यह जानकारी निकालने के लिए जिला स्तर पर अधिकारियों को निर्देश भेजे गए हैं।
स्कूल से पता करें
भोपाल स्थित राज्य शिक्षा केंद्र से अधिकारियों को निर्देश मिले हैं वे ऐसे सभी स्कूलों में पता करें जिनमें बच्चों का एडमिशन हुआ था, लेकिन एंट्री नहीं की गई है।
कम उपस्थिति अमान्य
अधिकारियों ने बताया जांच में पता चला है कि 75 प्रतिशत से कम उपस्थिति मिलने से पोर्टल पर एंट्री स्वीकार नहीं की जा रही। इस कारण भी छात्रों की संख्या घटी है।
अफसरों को भेज रहे
जिन बच्चों की एंट्री नहीं हुई उनमें से कई की उपस्थिति 75 प्रतिशत से कम थी। इस कारण एंट्री मान्य नहीं हो रही। बाकी के बारे में पता करने के लिए स्कू ल स्तर पर अधिकारियों को भेजा जा रहा है।
- मदनकुमार त्रिपाठी, जिला परियोजना समन्वयक
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