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मध्यप्रदेश में बच्चों पर निमोनिया का प्रकोप


पूजा माथुर



मध्य प्रदेश की सरकार जनता को स्वास्थ्य का अधिकार (Right to health) देने की बात कर रही है ताकि अपने एक और वचन को पूरा कर सके. लेकिन बेहतर स्वास्थ्य देने के लिए ज़रूरी है बीमारियों को मात देना और एमपी में पिछले 3 सालों में निमोनिया (Pneumonia) के कारण होने वाली बच्चों की मौत का आंकड़ा 30 फीसदी तक बढ़ गया है. प्रदेश में हर महीने 150 बच्चे निमोनिया की चपेट में आकर अपनी जान गवां रहे हैं. स्वास्थ्य प्रबंधन सूचना प्रणाली (हेल्थ मैनेजमेंट इन्फॉर्मेशन सिस्टम HMIS) के अनुसार निमोनिया के कारण होने वाली 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मौत के मामले में मध्य प्रदेश का नंबर देश में पहला है.


बच्चों की निमोनिया से मौत में एमपी अव्वल

निमोनिया ऐसी बीमारी है जो 5 साल से छोटे बच्चों को अपना शिकार आसानी से बनाती है. स्वास्थ्य सूचना प्रबंधन प्रणाली ने अलग-अलग राज्यों में निमोनिया को लेकर एक अध्ययन किया है. रिपोर्ट में ये बात सामने आई है कि पिछले 3 सालों में साढ़े 5 हजार बच्चों की मौत का कारण निमोनिया बना है. हैरानी बात ये भी है कि स्वास्थ्य सुविधाओं में मध्य प्रदेश से पीछे उत्तर प्रदेश, बिहार जैसे राज्य भी एमपी से बेहतर स्थिति में हैं.


निमोनिया से मौत के आंकड़े
·        मप्र में निमोनिया से हर महीने लगभग 150 बच्चों की मौत होती है. HMIS की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2016-17 में प्रदेश में निमोनिया के कारण 1497 बच्चों की मौत हुई
·        साल 2017-18 में बच्चों की मौत का आंकड़ा 1907 पहुंच गया
·        साल 2018-19 में ये बढ़कर 1977 तक पहुंच गया
·        इस साल राजस्थान में ये आंकड़ा पिछले साल के मुकाबले 1676 से कम होकर 1198 पर पहुंच गया,वहीं छत्तीसगढ़ में भी आंकड़ा कम होकर 676 से 646 पर पहुंचा

मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्यु दर में भी खराब स्थिति 

मध्य प्रदेश निमोनिया के साथ ही मातृ मृत्यु दर और शिशु मृत्युदर में भी अव्वल है. इसका सबसे बड़ा कारण प्रदेश में 70 फीसदी विशेषज्ञ डॉक्टरों की कमी सामने आई है. एनएचएम के डिप्टी डायरेक्टर पंकज शुक्ला का कहना है कि ये आंकड़े धीरे-धीरे कम हो रहे हैं. शिशु मृत्यु दर पहले 57 थी जो घटकर 47 हो गई है. बच्चों को निमोनिया से बचाने के लिए टीके लगाना शुरू कर दिए हैं. अगले साल से रिज़ल्ट और अच्छे आएंगे. अस्पतालों में डाक्टर्स की कमी थी लेकिन अब डाक्टर्स की नियुक्ति की जा रही है.

स्वास्थ्य मंत्री का दावा

मध्य प्रदेश में एक ओर लगातार स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को बेहतर करने के सरकार के दावे करती है और दूसरी ओर निमोनिया हर महीने तकरीबन 150 बच्चों की जानें ले रहा है. आंकड़े राज्य को चिंता में डाल रहे हैं लेकिन अब देखने वाली बात ये होगी कि निमोनिया से बचाने के लिए बच्चों को लगाये जा रहे टीके और स्वास्थ्य विभाग की और से चलाये जा रहे अभियानों से इन आंकड़ों में कितनी गिरावट आएगी. स्वास्थ्य मंत्री तुलसी सिलावट की मानें तो सरकार सभी को स्वास्थ्य का अधिकार देने का मसौदा तैयार कर रही है. जल्द ही सभी समस्याओं को भी सुलझा लिया जाएगा.

hindi.news18.com से साभार 


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