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द सेक्सुअल ऑफेंसेज अगेंस्ट चिल्ड्रन बिल को केन्द्रीय मंत्रिमंडल की मंजूरी




अब 18 साल से कम उम्र यानी नाबालिग के साथ सेक्स करना बलात्कार माना जाएगा। भले ही सेक्स आपस में सहमति से ही क्यों न किया गया हो।
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 26 अप्रैल को ‘द सेक्सुअल ऑफेंसेज अगेंस्ट चिल्ड्रन बिल (THE PROTECTION OF CHILDREN FROM SEXUAL OFFENCES)’ पर चर्चा करते हुए मंजूरी दे दी।

बिल में नाबालिग के यौन उत्पीड़न, यौन अपराध और शील भंग के दोषी शख्स को तीन साल से लेकर उम्रकैद तक की सजा हो सकती है। कैबिनेट ने कामकाजी महिलाओं के खिलाफ शोषण किए जाने के मामले में भारी वृद्धि को देखते हुए उसके बिल को जीओएम के पास सिफारिश के लिए भेज दिया है। सरकार के मुताबिक इसी सत्र में कानून पास करने की कोशिश की जाएगी।

यह पहला मौका है जब खासतौर पर बच्चों के खिलाफ होने वाले यौन अपराधों के लिए अलग से कानून लाया जा रहा है। मौजूदा कानून में इनके लिए अलग से कोई प्रावधान नहीं है। बिल के दायरे में बच्चों की तस्करी और चाइल्ड पॉर्नोग्राफी को भी लाया जाएगा।

बिल से, सहमति की उम्र 16-18 साल के वाक्यांश  को संसदीय पैनल की विवादास्पद सिफारिश के बाद हटा लिया गया है। इसका मतलब है कि 18 साल से कम उम्र के शख्स के साथ सेक्स अब अपराध की श्रेणी में माना जाएगा। पहले 16 साल की उम्र को सहमति का उम्र माना जाता था।

कुछ प्रावधानों पर कई मंत्रियों के असंतोष के चलते कार्यस्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न (रोकथाम, निषेध और निवारण) विधेयक में संशोधन को केंद्रीय कैबिनेट की मंजूरी नहीं मिल पाई।

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