रिपोर्ट में खुलासा : 2018 में 26.8
प्रतिशत शाला त्यागी छात्राओं की संख्या, सरकारी स्कूलों में हर साल 3 से 4 लाख तक
घट रही बच्चों की संख्या
अंजलि राय भोपाल | नवदुनिया – प्रदेश में सरकारी स्कूलों में साल दर साल
बच्चों की संख्या कम हो रही है | हर साल प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों में 3 से 4
लाख बच्चों की संख्या घट रही है | प्रदेश में चल रहे “स्कूल चले हम” अभियान “बेटी
पढाओं” सहित अनेक योजनाओं से सालाना करोड़ों रूपए खर्च करने के बावजूद सरकारी
स्कूलों में बच्चों की दर्ज संख्या में बढ़ोतरी नहीं हो रहो |
हालात यह है की पिछले दो सालों में यह छह लाख बच्चों ने सरकारी स्कुल
छोड़ दिया है | शाला त्यागी (ड्राप आउट) बच्चों में छात्राओं की संख्या छात्रों के
मुकाबले ज्यदा है | स्कुल शिक्षा विभाग ने यह रिपोर्ट जरी की है | वहीँ शिक्षा के
क्षेत्र में कार्यरत गैर सरकारी संगठन प्रथम के वार्षिक सर्वेक्षण एनुअल स्टेटस ऑफ़
एजुकेशन रिपोर्ट (असर) में भी यह बात सामने आई है कि आठवीं में शाला त्यागी छात्राओं
का प्रतिशत 26.8 है, जबकि छात्रों की संख्या 20.2 प्रतिशत है | हालाँकि छात्राओं
के नामांकन का प्रतिशत छात्रों के मुकाबले ज्यादा है, लेकिन स्कूल छोड़ने में भी
छात्राएं आगे है |
स्कूल शिक्षा
विभाग के आंकड़े
प्रदेश में स्कूल की स्थिति
प्राथमिक व माध्यमिक स्कूलों की संख्या
: 1,42,512
2016-17 में बच्चों की दर्ज संख्या
: 72,04,678
2017-18 में बच्चों की दर्ज संख्या
: 70,20,008
2016-17 में शाला त्यागी बच्चे : 4,18,844
इनमे छात्राएं – 2,53,252 व छात्र
: 1,65,592
वर्ष 2017- 18 में शाला त्यागी बच्चे
: 1,84,670
इनमे छात्राएं 95,872, व छात्र : 88,798
|
इनके पास जिम्मेदारी :
स्कूल शिक्षा विभाग में कई पदों पर महिलाएं ही प्रमुख हैं | इनमें स्कूल शिक्षा
प्रमुख सचिव रश्मि अरुण शमी, लोक शिक्षण संचालनालय की आयुक्त जयश्री कियावत और
राज्य शिक्षा केंद्र की संचालिका आईरिन सिंथिया है |
“जागरुक करेगें” – हमारा प्रयास होगा कि अधिक से अधिक संख्या में
बच्चे सरकारी स्कूलों में पढ़ने जाएं | इसमें छात्राओं की उपस्थिति बढ़ाने के लिए
विभागों द्वारा जागरूकता अभियान चलाया जाएगा | साथ ही अभिभावकों को भी जागरुक किया
जाएगा |
प्रभुराम चौधरी, स्कूल शिक्षा मंत्रीं, मप्र
“छात्राओं की शादियां” - सरकारी स्कूलों में आठवी के
बाद छात्राओं की संख्या ग्रामीण क्षेत्रों में कम होने का सबसे बड़ा कारण अभिभावकों
के मन में बालिकाओं को लेकर असुरक्षा का भाव पैदा होना है | इसके अलावा उनकी
शादियां भी कम उम्र में कर दी जाती है |
सुनीता सक्सेना,
शिक्षाविद
‘असर की रिपोर्ट’
कक्षा
और वर्ष
नामंकन
ड्रॉपआउट
आठवीं
कक्षा में छात्राएं (2018)
61%
26.8 %
आठवीं
कक्षा में छात्र (2018)
59.4% 20.2%
आठवीं
कक्षा में छात्राएं (2016)
57.2%
29.8 %
आठवीं
कक्षा में छात्र (2016)
55.4%
20.2%
|
बच्चों को लुभाने में 500 करोड़ खर्च करता है विभाग – प्रदेश सरकार की योजनाएं बच्चों को लुभाकर सरकारी
स्कूल तक पहुँचाने की है | इसमें केंद्र सरकार द्वारा भी 500 करोड़ का बजट स्कूल
चले हम अभियान के तहत दिया जाता है | सरकारी स्कूलों में बच्चों की दर्ज संख्या
बढे, इसके लिए सरकार नि:शुल्क किताबें, यूनिफार्म व साइकल वितरण जैसी योजनाएं चला रही
है | सिर्फ किताबों के लिए 200 करोड़ रूपए का कागज ख़रीदा जाता है | इसी तरह
प्रत्येक बच्चे के हिसाब से गणवेश के लिए 600 रूपए व लगभग 2500 रूपए साइकिल खरीदने
के लिए दिए जाते है |
22 january 2019, Nav Dunia
22 january 2019, Nav Dunia
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