ध्रुव गुप्त
बच्चे
इंतजार नहीं कर सकते
बच्चों
को चाहिए
मां भर ममता
पिता भर प्यार
पहाड़ भर चाकलेट
और एक कभी न खत्म होने वाली कहानी
मां भर ममता
पिता भर प्यार
पहाड़ भर चाकलेट
और एक कभी न खत्म होने वाली कहानी
बच्चे
चाहते हैं
घर के सारे पतलून और साड़ियां उन्हें
ठीक-ठीक आ जाएं इसी वक्त
इसी वक्त छू लें वे पिता की ऊंचाई
मां का कद
रसोई में पक जाए दाल-रोटी
पेड़ों पर अमरुद
इसी वक्त
घर के सारे पतलून और साड़ियां उन्हें
ठीक-ठीक आ जाएं इसी वक्त
इसी वक्त छू लें वे पिता की ऊंचाई
मां का कद
रसोई में पक जाए दाल-रोटी
पेड़ों पर अमरुद
इसी वक्त
बच्चे
चाहते हैं
चांद से भर जाय जेब
तितलियों से घर
इन्द्रधनुष से आकाश
तारों से भर जाएं सड़कें
चांद से भर जाय जेब
तितलियों से घर
इन्द्रधनुष से आकाश
तारों से भर जाएं सड़कें
बच्चे
चाहते हैं
दुनिया के तमाम राक्षस मर जाएं
एक साथ
जीवित हो उठें सारी परियां
और उनके राजकुमार
रोज मने उत्सव घर में
मिठाईयों से भरे रहें मर्तवान
दुनिया के तमाम राक्षस मर जाएं
एक साथ
जीवित हो उठें सारी परियां
और उनके राजकुमार
रोज मने उत्सव घर में
मिठाईयों से भरे रहें मर्तवान
बच्चे
अधीर हैं
अपनी पसंद की चीजों के लिए
वे चीख पड़ेंगे किसी भी वक्त
तोड़ देंगे सारे घर की नींद
अपनी पसंद की चीजों के लिए
वे चीख पड़ेंगे किसी भी वक्त
तोड़ देंगे सारे घर की नींद
बच्चे
इंतजार नहीं कर सकते
हमारी तरह
आहिस्ता आहिस्ता दुनिया बदलने का !
हमारी तरह
आहिस्ता आहिस्ता दुनिया बदलने का !
(कविता-संग्रह 'जंगल
जहां ख़त्म होता है' से)
ध्रुव गुप्त जी के फेसबुक वाल से साभार
0 Comments