भोपाल (बिच्छू रोजाना) । कुपोषण का कलंक मध्यप्रदेश के माथे से मिट नहीं पा रहा। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रीशन हैदराबाद (एनआईएन) की रिपोर्ट के अनुसार राजधानी भोपाल समेत पूरे मप्र के आधे से अधिक बच्चे सामान्य से कम वजन के हैं, जो कहीं न कहीं कुपोषण के दायरे में हें। भोपाल के 55.80 प्रतिशत बच्चे सामान्य से कम वजन वाले और 21 प्रतिशत बच्चे अत्यंत कम वजन के हैं। सतना जिले में सर्वाधिक 67.10 प्रतिशत बच्चे कम वजन के हें। इसके अलावा प्रदेश की स्थिति भी ठीक नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के 51.77 प्रतिशत बच्चे सामान्य से कम वजन के पाए गए हैं, जबकि सामान्य बच्चों की संख्या 48.1 प्रतिशत है। दरअसल, करीब 28 सौ करोड़ सालाना बजटवाले महिला एवं बाल विकास विभाग में कुपोषण मिटाने के लिए कई योजनाएं चल रही हैं, लेकिन इससे मुक्ति नहीं मिल पा रही है।
पांच वर्ष तक के बच्चों का सर्वे :
एनआईएन द्वारा किए गए प्रदेश के सर्वे में कुपोषण का सच उजागर हुआ है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मापदंडों के आधार पर एनआईएन ने प्रदेश के सभी जिलों में 5 वर्ष तक के बच्चों का सर्वे किया। सर्वे रिपोर्ट में तीन श्रेणियों में बच्चों की स्थिति दिखाई गई है। अत्यंत कम वजन के गंभीर बच्चों की श्रेणी में मप्र में 19.8 तथा कम वजन की श्रेणी मे 32.1 प्रतिशत बच्चे पाए गए हैं। इस प्रकार दोनों श्रेणियों में कुल 51.9 प्रतिशत बच्चे सामान्य से कम वजन के हैं।
इन जिलों की हालत खराब
जिला गंभीर बच्चे कम वजन वाले बच्चे भोपाल 21.0 55.80 प्रतिशत सतना 26.40 67.10 प्रतिशत बड़वानी 35.50 65.10 प्रतिशत उमरिया 25.60 66.60 प्रतिशत अलीराजपुर 29.50 60.80 प्रतिशत डिंडोरी 24.20 61.70 प्रतिशत
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