बच्चों को यौन अपराध से मुक्त रखने के मकसद से बनाया गया एक विशेष कानून, बाल दिवस के दिन पूरी तरह से अमल में आ गया। संसद ने इस कानून को इसी साल मई में पारित किया था।
बाल यौन अपराध विरोधी क़ानून, ‘द सेक्सुअल ऑफेंसेज अगेंस्ट चिल्ड्रन बिल (THE PROTECTION OF CHILDREN FROM SEXUAL OFFENCES)’ को राष्ट्रपति ने इसी साल 19 जून को अपनी संतुति दी थी और 20 जून को इसे भारत के राजपत्र में अधिसूचित किया गया था।
यह कानून तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है। इसके तहत 18 साल के कम उम्र के बच्चों के बीच सेक्स को अपराध माना गया है, चाहे वह आपसी सहमति से ही क्यों न हो। लेकिन इस कानून में एक बड़ा पेंच भी है। ऐसे मामले में जब दोनों ही अवयस्क होंगे तो आरोपी की पहचान करना जांच एजेंसियों के लिए टेढ़ी खीर होगा।
यह कानून ‘जेंडर न्यूट्रल’ है यानी लड़का हो या लड़की दोनों पर ही यह समान रूप से लागू होता है। इसके अलावा पहली बार ‘बच्चे’ को 18 साल के कम उम्र के एक शख्स के तौर पर परिभाषित किया गया है। इस कानून के तहत कई तरह के यौन अपराधों की परिभाषा दी गई है और कड़ी सजा का प्रावधान है।
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