मिशन तीन अलग-अलग चरणों में एक साथ चलाया जाएगा जिसमें प्राथमिक, माध्यमिक एवं उच्च शिक्षा के क्षेत्र होंगे
ज्ञानेंद्र सिंह/एसएनबी नई दिल्ली।
शिक्षा के गिरते स्तर को सुधारने के लिए इस क्षेत्र में भी एक राष्ट्रीय मिशन स्थापित करने पर विचार हो रहा है। मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित यह मिशन प्राथमिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा एवं उच्च शिक्षा पर होगा।
फिलहाल गेंद योजना आयोग के पाले में है। यह मिशन बिल्कुल उसी तरह होगा जैसे वर्तमान में अन्य मंत्रालयों के मिशन चल रहे हैं। उल्लेखनीय है कि इस समय देशभर में प्राइमरी से उच्च शिक्षा स्तर तक के क्षेत्र में हालत काफी खराब है। कहीं स्कूलों के पास भवन नहीं है तो कहीं पर शिक्षक नहीं हैं और यदि ये दोनों हैं भी, तो फिर वहां पर पढ़ने के लिए छात्र नहीं हैं। फर्जी शैक्षिक संस्थाओं का बोलबाला बढ़ रहा है और असली शैक्षिक संस्थाओं के पास संसाधनों व संकायों का अभाव है।
राज्य सरकारों से बार-बार बैठकें करने के बावजूद मानव संसाधन विकास मंत्रालय अभी तक कोई ठोस फैसले नहीं ले पाया है। इन तमाम समस्याओं को हल करने के लिए ही योजना आयोग के पास शिक्षा के क्षेत्र में राष्ट्रीय मिशन शुरू करने पर विचार चल रहा है। इस संबंध में मंत्रालय के साथ कई दौर की वार्ता भी हो चुकी है मगर गेंद अभी भी आयोग के पाले में है। बताया जा रहा है कि यदि सब कुछ ठीक ठाक रहा तो यह राष्ट्रीय मिशन भी बिल्कुल उसी तरह से होगा जैसे मनरेगा, जवाहरलाल नेहरू शहरी नवीकरण राष्ट्रीय मिशन व राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन का संचालन केंद्र के माध्यम से राज्यों में हो रहा है।
यह मिशन तीन तीन अलग-अलग चरणों में एक साथ चलाया जाएगा जिसमें प्राथमिक शिक्षा, माध्यमिक शिक्षा एवं उच्च शिक्षा के क्षेत्र होंगे। उच्च शिक्षा में मुख्य फोकस केंद्रीय विविद्यालयों एवं डिग्री कालेजों पर होगा। उल्लेखनीय है कि शिक्षा के तीनों ही चरणों में सुधार की बहुत ज्यादा गुंजाइश है खासतौर पर शिक्षकों की कमी और वर्तमान संसाधनों को अपडेट करना। हालत यह है कि तीनों ही चरणों में शिक्षकों की बहुत ज्यादा कमी है। प्राथमिक स्कूलों में शिक्षकों के 5.23 लाख पद खाली पड़े हैं, इसी तरह राष्ट्रीय माध्यमिक शिक्षा अभियान चलाने के बावजूद इंटर कालेजों की हालत यह है कि वहां पर 1.79 शिक्षकों की आवश्यकता है। यही हाल उच्च शिक्षा के क्षेत्र में डिग्री एवं विविद्यालयों का है।
केंद्रीय विविद्यालयों में 35 फीसद एवं विविद्यालयों में 40 फीसद तक शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं। शिक्षकों की कमी को पूरा करने के लिए तीनों चरणों पर राष्ट्रीय शिक्षक भर्ती अभियान भी चलाने पर विचार किया जा रहा है जिसमें ज्यादा जोर अंग्रेजी, गणित और विज्ञान पर होगा। प्रस्तावित राष्ट्रीय शिक्षा मिशन का मुख्य फोकस शिक्षकों की कमी को पूरा करना, शिक्षा के गिरते स्तर को सुधारना एवं गुणवत्ता में सुधार लाना, संकायों की कमी को दूर करना, शिक्षकों की योग्यता में सुधार करना, प्रौद्योगिकी सक्षम शिक्षण की व्यापक नीति को लागू करना, शिक्षकों के प्रशिक्षण के कार्यक्रम निरंतर जारी रखना एवं शिक्षा के वर्तमान ढांचे को समय की मांग के अनुसार अपडेट करना है। प्रस्तावित मिशन का लक्ष्य शिक्षा के तीनों चरणों में नीतिगत उपायों को लागू करना, राज्य सरकारों, शिक्षा बोडरे, विविद्यालय अनुदान आयोग, राज्य विविद्यालयों, केंद्रीय विविद्यालयों एवं अन्य शैक्षिक संगठनों के साथ केंद्र की ओर से कार्यक्रम एवं योजना आधारित हस्तक्षेप एवं शिक्षा सुधार के सभी पहलुओं को ध्यान में रखते हुए एक मजबूत संयोजन नीति तैयार करना है।
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