हर दो रेंज में अलग से होगी आईजी की नियुक्ति
प्रदेश में महिलाओं व बच्चों पर जुल्म करने वालों को पकड़ने और सजा दिलाने के लिए पुलिस महकमा नई व्यवस्था शुरू करने जा रहा है। ऐसे अपराधों की मॉनिटरिंग और कार्रवाई करने वाले पुलिस अधिकारियों पर नजर रखने के लिए रेंज स्तर पर अलग से आईजी की नियुक्ति होगी। वहीं प्रदेश स्तर पर मॉनिटरिंग करने एडीजी स्तर के अफसर को जिम्मेदारी सौंपी जाएगी। इस व्यवस्था को शासन से हरी झंडी मिल गई है।
महिलाओं व बच्चों पर बढते अपराधों को रोकने पुलिस महकमे ने हर जिले में अलग सेल खोलने का फैसला किया है। प्रांरभ में भोपाल,इंदौर,ग्वालियर,जबलपुर में सेल के लिए शासन ने मंजूरी दी है। इन अपराधों की मॉनिटरिंग और लापरवाह अधिकारियों पर नजर रखने के लिए हर दो रेंज पर जल्द एक आईजी की अलग से नियुक्ति होगी। ये अफसर केवल महिला और बाल अपराधों से संबंधित मामले ही देखेंगे। पीएचक्यू में एक एडीजी की भी नियुक्ति होगी,जो केवल इन्हीं दोनों मामलों को देखेंगे। इसके लिए पुलिस मुख्यालय ने अलग से अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ ही संसाधन की मांग की है। अभी पुलिस मुख्यालय की अजाक शाखा के एडीजी महिला एवं बाल अपराध के साथ एससी-एसटी के मामलों को भी देखते हैं।
महिलाओं व बच्चों पर बढते अपराधों को रोकने पुलिस महकमे ने हर जिले में अलग सेल खोलने का फैसला किया है। प्रांरभ में भोपाल,इंदौर,ग्वालियर,जबलपुर में सेल के लिए शासन ने मंजूरी दी है। इन अपराधों की मॉनिटरिंग और लापरवाह अधिकारियों पर नजर रखने के लिए हर दो रेंज पर जल्द एक आईजी की अलग से नियुक्ति होगी। ये अफसर केवल महिला और बाल अपराधों से संबंधित मामले ही देखेंगे। पीएचक्यू में एक एडीजी की भी नियुक्ति होगी,जो केवल इन्हीं दोनों मामलों को देखेंगे। इसके लिए पुलिस मुख्यालय ने अलग से अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ ही संसाधन की मांग की है। अभी पुलिस मुख्यालय की अजाक शाखा के एडीजी महिला एवं बाल अपराध के साथ एससी-एसटी के मामलों को भी देखते हैं।
लोक अभियोजन अधिकारीः बाल और महिला अपराधों के आरोपियों को सजा दिलाने राज्य सरकार ने भोपाल, इंदौर, जबलपुर और ग्वालियर में सहायक लोक अभियोजन अधिकारियों की नियुक्ति कर दी है। जो चालान पेश करने से लेकर आरोपी को सजा मिलने तक नजर रखेंगे।
लापता बच्चों की स्थिति-
मप्र के नौ हजार से अधिक बच्चे लापता हैं। पुलिस महकमे द्वारा वर्ष ०६ से लेकर २०११ तक का तैयार रिकार्ड के तहत ४३ हजार ९२० बच्चे लापता हुए हैं,जिसमें २३ हजार ९६९ बालिकाएं और १९ हजार ९६९ बालक हैं। इनमें १६ हजार ७४७ बच्चों का पता चल गया है। करीब ३५०० बालकों का अब तक सुराग नहीं मिला है। इसी प्रकार १८ हजार १७१ बालिकाओं का पता चल गया है, लेकिन ५ हजार ८८० बालिकाएं अभी भी लापता हैं
महिला अपराधों की स्थिति
वर्ष
|
बलात्कार
|
छेड़छाड़
|
दहेज प्रताड़ना
|
हत्या
|
2009
|
3071
|
6561
|
4008
|
639
|
2010
|
3220
|
7082
|
3665
|
580
|
2011
|
3381
|
6954
|
3703
|
698
|
0 Comments