भोपाल। जब वित्तीस वर्ष में मात्र 60 दिन शेष बचे हैं, तब राज्य सरकार के 45 विभाग ऐसे हें, जो वार्षिक योजना के तहत आवंटित राशि को व्यय नहीं कर पाये हैं। उल्लेखनीय है कि सरकार की वार्षिक के तहत 28हजार 779 करोड़ रुपये के व्यय करने का प्रावधान किया गया था। मगर 31 दिसंबर तक जो स्थिति सामने आई है उसके अनुसार 16 हजार 451 करोड़ की राशि ही व्यय हो पायी है, जाहिर है कि जब तीन माह ही शेष बचे हैं तब तक 12 हजार 469 करोड़ की राशि को व्यय किया जाना शेष है। अर्थशास्त्रियों व राजनीतिक पंडितों के सामने अब यह सवाल खड़ा हो गया है कि जो सरकार 9 माह में मात्र 57 फीसद राशि ही व्यय कर पायी है, वह बाकी बचे तीन महीनों में 43 प्रतिशत राशि कैसे व्यय कर पायेगी।
उल्लेखनीय है कि यह सभी विभाग सरकार के महत्वपूर्ण विभाग हैं और इनमें कई विभाग तो आवंटित राशि का बीस से तीस प्रतिशत तक ही खर्च कर पाये हैं। जाहिर है कि अब इतने कम समय में इस पैसे को व्यय करने के नाम पर कागजी खानापूरी ही ज्यादा होगी। जिसके तहत विकास कार्यों की जगह बजट को पलीता लगाने की कोशिश की जायेगी।
राशि व्यय न कर पाने वाले प्रमुख विभागों के आंकड़े चौकाने वाले हैं
ग्रामीण विकास 3601.88 1989.01
ऊर्जा विभाग 1908.00 1149.79
पब्लिक वर्कर्स 2505.09 1029.59
जल संसाधन 2697.38 1019.75
महिला बालविकास 2449.75 8 70.83
कृषि 1329.21 758.04
स्कूल शिक्षा 2356.86 587.67
पीएचई 881.21 539.74
आदिमजाति कल्याण 490.79 492.67
नगरीय प्रशासन 858.59 482.67
नर्बदा विकास 1408.76 409.31
सहकारिता विभाग 792.69 319.16
वनविभाग 546.27 267.10
अनुसूचित जाति 682.37 136.53
पंचायती राज 615.40 121.57
सामाजिक न्याय 880.12 258.10
अल्पसंख्यक विभाग 429.47 116.83
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1 से 15 फरवरी 2012 (वर्ष: तेरह अंक: तीन)
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